1 min read

Poem

टॉपिक घड़ी

देखो देखो मेरी घड़ी , निरंतर है ये चलती रहती।

कभी हमे न कुछ है कहती ,निरंतर ये चलती रहती।

न कुछ खाती न कुछ पीती, चाबी पर हि है ये जीती।

उठाने का जब करे न मन , मेरी घड़ी करती टन् टन ।

देखो देखो मेरी घड़ी , मेरी घड़ी पहरे पे खड़ी।

थैंक यू

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *