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Poem
टॉपिक घड़ी
देखो देखो मेरी घड़ी , निरंतर है ये चलती रहती।
कभी हमे न कुछ है कहती ,निरंतर ये चलती रहती।
न कुछ खाती न कुछ पीती, चाबी पर हि है ये जीती।
उठाने का जब करे न मन , मेरी घड़ी करती टन् टन ।
देखो देखो मेरी घड़ी , मेरी घड़ी पहरे पे खड़ी।
थैंक यू
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